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हिंसा के प्रति प्रतिष्ठा: भगत सिंह ने ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ स्वतंत्रता संग्राम में भाग लिया और उन्होंने हिंसा का सही माध्यम माना।
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सैंडपर्क समाचार पत्रिका: उन्होंने 'सैंडपर्क' नामक समाचार पत्रिका का संपादन किया, जिसमें वे ब्रिटिश शासन के खिलाफ लेख लिखते थे।
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हिन्द सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन: भगत सिंह ने हिन्द सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन की स्थापना की, जिसका उद्देश्य ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ स्वतंत्रता संग्राम को संगठित रूप में लाना था।
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स्वतंत्रता संग्राम: उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम के अभियानों में भाग लिया और ब्रिटिश राज के खिलाफ आवाज उठाई।
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अस्पृश्य आंदोलन: भगत सिंह और उसके साथी स्वतंत्रता सेनानियों ने अस्पृश्य आंदोलन का आयोजन किया, जिसमें वे ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ अनशन पर बैठे थे।
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सैंडपर्क कैसे: उन्होंने 1928 में लाहौर में होने वाले ब्रिटिश सरकार के जाले में फंसे साथी स्वतंत्रता सेनानियों को बचाने के लिए किये गए हमले 'सैंडपर्क कैसे' के रूप में मशहूर हो गए।
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हंगामा जलियांवाला बाग: भगत सिंह ने जलियांवाला बाग में हुए मास्स शूटिंग के बाद क्रिकेट खेलने के बजाय जलियांवाला बाग में अपना जीवन समर्पित किया।
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साजिश और फांसी: भगत सिंह, राजगुरू और सुखदेव के साथ जलियांवाला बाग के प्रस्तावित रंगारंग सैन्य सैंडपर्क कैसे के लिए जिम्मेदार थे।
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उन्होंने योजना के हिस्से के रूप में दिल्ली के संसद भवन पर हमला किया और ब्रिटिश कमिशन कम्पाउंड में उनके आत्महत्या के पहले अपने आप को गोली मार दी।
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आज़ाद हिन्द सरकार: भगत सिंह की सोच और क्रियाओं ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को मजबूत किया और उन्होंने आज़ाद हिन्द सरकार के नेता के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
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भारत का गणराज्य 1950 में अस्तित्व में आया था और इसका पहला राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद थे।
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